Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -06-Jul-2022... सपनों की उड़ान..भाग 7

बिरजू... ओ बिरजू... हे भगवान इस लड़के ने तो नाक में दम कर दिया हैं....। जब देखो तब उछल कूद... पता नहीं कब अपनी जिम्मेदारी समझेगा...। 

अरे किशना.... तुने बिरजू को कही देखा क्या..? 

क्या चाची... वो ओर कहाँ होगा.. बैठा होगा वो पटरियों पर..। उसका तो रोज का वही ठिकाना हैं..। 

बेटा... उसको बुला लाएगा..? 

ना चाची... मैं तो अभी फैक्ट्री जा रहा हूँ... देर हो गई तो मालिक चिल्लाएगा...। आप किसी ओर को बोल दो..। 


ऐसा कहकर किशना वहा से चला गया..। 

बस्ती के सारे लड़के किसी ना किसी काम में लगे हुए हैं... ओर एक ये नालायक हैं की सारा दिन बस उछल कूद...आज तो इस बिरजू का भूत में उतार कर ही रहूंगी...। 


विमला भीतर गई और हाथ में एक बड़ी सी मोटी बांस की लकड़ी लेकर बाहर आई... घर के दरवाजे पर ताला लगाया और अपनी साड़ी का पल्लू कमर में अटका कर चप्पल पहनकर तेज़ कदमों से अपने आप में बड़बड़ाते हुए पटरियों की तरफ़ चल दी...। सिढ़िया उतरते हुवे वो अभी कुछ कदम आई ही थीं की बस्ती में रहने वाले कैलाश ने कहा :- अरे ताई... कहाँ चलदी... हाथ में लट्ठ लिए...!! 

बिरजू... की खैर लेने जा रही हूँ बाऊ... आज वो नहीं बचेगा...। विमला सिर्फ इतना कहते हुवे चलीं जा रहीं थी..। 

कैलाश :- अरे... ताई... सुन तो...। 

लेकिन विमला बिना कुछ ओर बोले सुने चल दी..। 

कैलाश मन में.... बेचारा बिरजू... आज तो गया... आज उसको कोई नहीं बचा सकता...। 


भोलू :- बिरजू.... ओ बिरजू.... भाग जल्दी भाग... तेरी आई लठ्ठ लेकर इसी तरफ़ आ रही हैं...। 

बिरजू ये सुन दौड़ता हुआ भोलू के पास आया.. क्या कहा तुने.. आई.. यहाँ आ रहीं हैं..! 

हां... मैं अपने कानो से सुनकर और देखकर आ रहा हूँ... आई इसी तरफ आ रही हैं... और वो बहुत गुस्से में भी हैं...। तुने कुछ किया हैं क्या..! 

मैने... नहीं तो... मैं तो.. अरे देवा.... मैं तो भूल ही गया... अरे आई ने आज बाबा को फैक्ट्री में खाना देकर आने को बोला था...। मर गया अब तो... साला मेरे को तो याद ही नहीं रहा...। पक्का इसी बात पर गुस्सा होगी..। 


अब तु क्या करेगा बिरजू.....! 

ओ हरिया... जल्दी इधर आ...। 

हरिया बिरजू का लंगोटिया दोस्त...। 

यार....आई इधर की ओर ही आ रही हैं.... बहुत गुस्से में हैं... बचने का कोई रास्ता बता...। 


अरे वो हैं ना अपना फार्मूला नंबर 11......। मार से बचने का सबसे जबरदस्त तरीका...। 


अरे हां यार...। चल फिर देर किस बात की शुरू हो जा...। 

बिरजू ने अपने दोनों हाथ हरिया और भोलू के कंधे पर रखें और एक पैर उपर कर लंगड़ाने की एक्टिंग करते हुवे घर की ओर चलने लगा.. 
कुछ मिनट ही चला होगा की सामने से विमला... गुस्से में लठ्ठ लेकर उसकी तरफ़ ही आती दिखाई दी....। विमला की नजर जब बिरजू पर पड़ी तो हाथ में लाए लठ्ठ को वही साइड में फेंक कर दौड़ती हुई बिरजू की तरफ आई और बोलीं :- हे देवा... क्या हो गया बिरजू... तु ऐसे लंगड़ा कर क्यूँ चल रहा हैं...। 

हरिया :- अरे आई.... इसके पैर में जबरदस्त मोच आ गई हैं.... ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा हैं....। 

विमला :- तुझे कितनी बार मना किया हैं बिरजू ये उछल कूद मत किया कर...। 

बिरजू :- आई.... उसे उछल कूद नहीं स्टंट कहते हैं...। ये हुनर सब में नहीं होता....। 

विमला :- आग लगे.... तेरे इस हुनर को....। 


हरिया :- आई आप चलो हम इसे घर तक छोड़ आते हैं..। 


बिरजू :- हां आई तू आगे जा... ताला खोल.... मैं धीरे धीरे आता हूँ.. .। 

विमला :- हां.... हां... मैं तेरे लिए हल्दी वाला दूध भी बना कर रखतीं हूँ और मालिश का तेल भी लेती हुई जाती हूँ... तु आराम से आना बेटा...। 


विमला ऐसा कहकर अपनी लठ्ठ वापस लेकर बस्ती की ओर चल दी.. .। 



विमला के आंखों से ओझल होतें ही... बिरजू अपने दोनों पैरों पर खड़ा हुआ और बोला :- वाह हरिया.... ये फार्मूला 11 तो काम कर गया...। चलो यारो अब घर तक तो छोड़ आओ... । 
वो तीनों दोस्त रास्ते में उछल कूद करते हुए.. मस्ती करते हुए.. खिलखिलाते हुवे... बस्ती के बाहर तक आए...। फिर वापस अपने उसी लंगड़ाने वाले अंदाज में बिरजू.... अपने घर की ओर चल दिया...। 


बिरजू का घर उस चाल में तीसरे माले पर था...। उस बस्ती में तकरीबन चालिस से ज्यादा परिवार रहते थे...। तकरीबन सभी लोग पास की फैक्ट्रियों में ही कुछ ना कुछ काम करके अपनी आजिविका कमाते थे...। बिरजू के पिताजी शिवप्रसाद उर्फ़ शिवा भी ऐसी ही एक कपड़े की फैक्ट्री में काम करते थे...। वो पूरी चाल हरिहर की थीं... । उसके आदमी हर महीने सभी से किराया वसूल करने आते थे...। हरिहर की ऐसी ओर भी कई चाले थीं... जो उसने किराए पर चला रखी थीं...। बिरजू की माँ विमला भी बस्ती के पीछे ही बने कुछ बंगलो में बर्तन मांजने का काम करतीं थीं...। 


बिरजू का सपना कहाँ तक उड़ान भरता हैं जानते हैं अगले भाग में...। 




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5 Comments

Renu

31-Aug-2022 01:47 PM

👍👍

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shweta soni

31-Aug-2022 09:23 AM

Behtarin rachana

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Pratikhya Priyadarshini

30-Aug-2022 01:40 AM

Achha likha hai aapne 🌺🙏

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